Monday, September 3, 2012

बोतल राम (मैथिली एकल नाटक )-सरोज खिलाड़ी, नेपालक पहिल मैथिली रेडियो नाटक संचालक।

स्टेज एकटा सड़क अछि,ड़कपर कोनो व्यक्ति गरीबक संकेतमे कपड़ा पहिरने सुतल अछि। कनीक देर तक सुतलाक बाद भोर होबके संकेत भेटिते ओ व्यक्ति उठैत अछि। उठलाक बाद अपना झोरासँ एकटा दारुक बोतल निकालि कुल्ला-आजा करैत अछि। कुल्ला-आजाक पश्चात अपना आगामे एकटा दारुक बोतल राखि कऽ अपना झोरा सँ दुऽटा अगरबत्ती, फुल-चानन निकालि पुजा-आजा करैत अछि ज पूजामे आरती-बन्दना नेपथ्यसँ शुरु होइत अछि।
(नेपथ्यसँ) हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(कोरस)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(नेपथ्यसँ)–हमरा सगुने आ सन्तरा मैगडल लगैय
(कोरस)–हमरा सगुने आ सन्तरा मैगडल लगैय
(नेपथ्यसँ)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(कोरस)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय
(नेपथ्यसँ)–जुरैय दुधिया त नै चाहि भरजीन
(कोरस)–जुरैय दुधिया त नै चाहि भरजीन
(नेपथ्यसँ)–दोसर जका नै चाहि मैगडल जीन
(कोरस)–दोसर जका नै चाहि मैगडल जीन
(नेपथ्यसँ)–हमरा जीवनक रक्षा करऽबला
(कोरस) हमरा जीवनक रक्षा करऽबला
(नेपथ्यसँ)–हमरा दुधिएक बोतल भगवान लगैय
(कोरस) जय होकककककक
(नेपथ्यसँ)–हमरा अपन दारुए अमृत लगैय

आरतीक पश्चात पूजा कएने दारुक बोतलके
प्रसाद मानिन क ग्रहण करैत अछि। पी लेलाक बाद..


व्यक्ति
–(शीसी फेकैत) साले, दुइए घोटमे खतम भगेलै।
नेपथ्यस
–(सैत) चालनि दुसलक सुपके जकरा ७२ गो छेद।
व्यक्ति
–(मुह दुसि कसैत) बाप जन्ममे नै छै कहियो हँसने, वै कुता,ँसि ले कि बाजि ले। (डेराइत) वै, तो के छे रे?
नेपथ्यसँः
–(गंभीर स्वरमे) हम छी दारु महराज।
व्यक्तिः
–(सोचैत) दारु महराज, कोन देशक राजा?
नेपथ्यसँ: राजा नै रे मूर्ख। तोहर दु
श्मन ।
व्यक्ति
: हमर दुश्म? हमर दुश्मन त केउ भइए नै सकै
नेपथ्यसँ: संसारमे एहन कोनो व्यक्ति नै जकर दुश्मन नै छै।
व्यक्ति
: मुदा हमर दुश्मन? असम्भव।
नेपथ्यसँ:
हम छियौ ने
व्यक्तिः
–(डेराइत) तो के छेँ?
नेपथ्यसँ: हम व
छी जे तोरा सनसनके खोजैत रहै छै।
व्यक्ति
: (भगैत) पुपुपुपुपुलिसपुलिसपुलिस।
नेपथ्यसँ: रुक
, पुलिस नै, दारुऽऽ।
व्यक्ति
: (सैत) दाऽऽरु। तखन त ताें हमर दोस भेले दोस।
नेपथ्यसँ:
–(जोरसँ) किन्नौ नै। दोस्त रहितियौ त हमरा पीलाक बाद हमर शीसीके गारि पढ़ि कऽ नै फेकितेँ

व्यक्ति
: दु तोरी के, वोबा टा क बात ला।
नेपथ्यसँ:
बात कहु छोट भेलै। बिना इरखा के मनुष्य की, बिना बिख के साकी?
व्यक्ति
: वै, तो हमरापर पिताइए कऽ कथी लेबे?
नेपथ्यसँ:
लेबौ नै कदेलियौ।
व्यक्ति
: (सोचैत) कलेबौ नै कदेलियौ, वै कुता,थी रे?
नेपथ्यसँ: भिखमंगा (ह
सैत) भिखमंगा, भिखमंगा।
व्यक्ति
: (कटहसीसँ) भिखमंगा ओहूमे हमरा? तों पागल छेँ, बुझि गेलियौ, नामलोली।
नेपथ्यसँ: सोच
, कनीका गंभीरसँ सोच।
व्यक्ति
: हटा सोच फोच, हमरास बेशी काबिल के छै एतऽ?
नेपथ्यसँ: काबिल नै
, तो मुर्ख छेँ, माहामुर्ख ।
व्यक्ति
:–(गंभीरसँ दारु पिबैत) हम मुर्ख नै छी
नेपथ्यसँ: मुर्खक लक्षण त
ताें अखनो देखा देलहीं जे कनीके टा के सोचऽ बला बातमे तोँ हमरा पिब लगले, रे बुद्घि के मारल, हमरा पिलासहम ककरो समस्याक सामाधान नै कऽ दै छि
व्यक्ति
:टेढबात नै बाज, जे कहके छौ सोझसबाज। तोरा सन-सनके अखनो दुटाके देखबउ, बुझलिही की? (छाती ठोकैत मुहे भरे खसैत)
नेपथ्यसँ:–(सैत) देखतै हमरा सन-सनकेगिरलै मुहेभरे।
व्यक्ति
: (गंभीरसँ) गिरलियै नै, डान्स कैलीयैए, बुझलही कि।
नेपथ्यसँ:
डान्स की करबे, दैव के कपार, भिखमंगा कहीके।
व्य
क्ति: (गंभीर भ) हम भिखमंगा कोना कऽ छी?
नेपथ्यसँ:
कोना नै छेँ, रे रहऽ बला घर-घरारी स बिका देलियौ। तोहर खनदानके उकटा देलियौ, प्रतिष्ठाक नास कदेलियौ, छोटछोट भाभसँ पिटबौलियौ तोरा हम सड़कपर आनि देलियौ (हसैत) सड़क छाप

नेपथ्यस
गीतआब हम जिनगीमेऽऽऽऽ
दारुके
कहियो हाऽऽ नै लगाएब-–
घर बिका गेल घरारी बिका गेल
, समाजमे प्रतिष्ठा
सर कुटुम दोस्त महिम स
खतम भेल घनिष्ठा
आब हम
जिनगीमे दारुके कहियो ....
नै लगाएब

व्यक्ति
: (गंभीर भ) हम भिखमंगा, मुर्ख, चपाट छली, मुदा आब नैठीक कहलेह तोँ, तोरे कारण हमर घर-घराड़ी तहस-नहस भगेल। तोरा सन-सन नुका क रहल समाजक बरबादीके आब हम चिन्ह लेलौ। तोरा नै पिबऽ के लेल हमरा के नै समझौलक, सरकुटुम, माय-बाप, भाइ-बहिन, समाजके हमरा समझबैतसमझबैत थाकि गेल मुदा हम अपन थुथरइ नै छोलौ। तोहर बातसआइ हमर आखि खुलि गेल। किए? कि तो समाजमे रहै छेँ? (चिचिआइत, छाती ठोकि क कनैत) कतेकके विधवा आ कतेकके विलटुवा बना देलहीं तो। मुदा आब नै। आ तोरा हम खोजि कऽ समाजेसहटा देबौ।
नेपथ्यसँ:
–(खुब हसैत) हम तोरा नै भेटबउ।
व्यक्ति
: हम तोरा खोजि रहबौ।
नेपथ्यसँ:
–(व्यंगसँ) हम तोरा नै भेटबउ।
व्यक्ति
: देखै छियौ ताें कोना नै भेटै छे
नेपथ्यसँ:
–(व्यंगसँ) बच्चा, हम तोरा नै, नै भेटबउ।

(व्यक्ति चारु दिस खोजै छथि
, खोजलाक बाद अपन कमीज फाड़ै छथि। वएह व्यक्तिक पुरा देहमे रंग बिरंगक दारु बान्हल रहै छै। जनौ मे सेहो २-४टा दारु बान्हल रहै छै, फेर फटलका फुलपेन्ट सेहो निकालै छथि। हुनका जाघ आ छाबामे सेहो दारुक बोतल स बान्हल रहै छै। ओ सटा दारुक शीसीके ओही ठाम फोड़ै छथि। तखन नेपथ्यसँ खुब कानके, चिचिआइके आ छटपटाके अवाज अबै छै। व्यक्ति शीसी फोड़ैत फ्रिज…..)

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